
नैनीताल। जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने जिले के सभी तहसीलदारों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि गैर-विवादित नामांतरण (निर्विवाद उत्तराधिकार) से जुड़े सभी मामलों का त्वरित निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।
डीएम रयाल ने कहा कि तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के न्यायालयों में भू-राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा-34 के अंतर्गत आने वाले अनेक प्रकरण लंबित हैं, जिससे खतौनी (ROR) को अद्यतन रखना संभव नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि नामांतरण लंबित रहने से क्रेता या हस्तांतरित व्यक्ति को विधिक अधिकारों और लाभों से वंचित होना पड़ता है, जो अत्यंत खेदजनक है। जबकि अंतरण की सूचना उपनिबंधक कार्यालय से तहसीलदार को उसी दिन प्राप्त हो जाती है, फिर भी निस्तारण में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है।
डीएम ने राजस्व न्यायालय मैनुअल के पैरा-ए-373 और भू-राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा-197 का हवाला देते हुए कहा कि उद्घोषणा जारी होने के बाद यदि 30 (व्यवहार में 35) दिनों में कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती, तो तहसीलदार को नामांतरण आदेश पारित कर खतौनी अद्यतन करना अनिवार्य है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नामांतरण की कार्यवाही एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों को अद्यतन रखना और राजस्व निर्धारण सुनिश्चित करना है, न कि स्वामित्व विवादों का निपटारा करना।
जिलाधिकारी ने सभी तहसीलदारों को निर्देश दिए कि गैर-विवादित नामांतरण के सभी लंबित प्रकरणों का निस्तारण समय सीमा में करें, और विवादित मामलों में भी त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि इस कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।












